गोंदिया में सार्वजनिक पंडालों व मंदिरों में विराजित मातारानी नवरात्र पर्व के सातवे दिन माँ कालरात्रि देवी के दर्शन बुलंद गोंदिया पर

बुलंद गोंदिया। शारदीय नवरात्र रविवार 16 अक्टूबर से शुरू हुआ है। जिसमें शहर के सार्वजनिक स्थानों पर पंडालों में मातारानी की भव्य प्रतिमा विराजित हुई है। इसके साथ ही शहर के विभिन्न दुर्गा मंदिर में विराजित माता व ज्योत के नवरात्र पर्व के सातवे दिन माँ कालरात्रि देवी के दर्शन बुलंद गोंदिया पर।

                    कालरात्रि
                       मन्त्र:
एकवेणी जपाकर्णपूरा नग्ना खरास्थिता।
लम्बोष्ठी कर्णिकाकर्णी तैलाभ्यक्तशरीरिणी॥
वामपादोल्लसल्लोहलताकण्टकभूषणा।
वर्धन्मूर्धध्वजा कृष्णा कालरात्रिर्भयङ्करी॥

मां नवदुर्गा उत्सव समिति हनुमान चौक न्यू लक्ष्मी नगर गोंदिया

माँ दुर्गाजी की सातवीं शक्ति कालरात्रि के नाम से जानी जाती हैं। दुर्गापूजा के सातवें दिन माँ कालरात्रि की उपासना का विधान है। इस दिन साधक का मन ‘सहस्रार’ चक्र में स्थित रहता है। इसके लिए ब्रह्माण्ड की समस्त सिद्धियों का द्वार खुलने लगता है।

श्री सार्वजनिक जय मां नवदुर्गा उत्सव समिति मामा चौक सिविल लाइन गोंदिया

कहा जाता है कि कालरात्रि की उपासना करने से ब्रह्माण्ड की सारी सिद्धियों के दरवाजे खुलने लगते हैं और तमाम असुरी शक्तियां उनके नाम के उच्चारण से ही भयभीत होकर दूर भागने लगती हैं।

संयुक्त सदस्य सेवा समिति जेएम हाई स्कूल के पास कन्हारटोली गोंदिया

नाम से अभिव्यक्त होता है कि माँ दुर्गा की यह सातवीं शक्ति कालरात्रि के नाम से जानी जाती है अर्थात जिनके शरीर का रंग घने अन्धकार की तरह एकदम काला है। नाम से ही जाहिर है कि इनका रूप भयानक है। सिर के बाल बिखरे हुए हैं और गले में विद्युत की तरह चमकने वाली माला है। अन्धकारमय स्थितियों का विनाश करने वाली शक्ति हैं कालरात्रि। काल से भी रक्षा करने वाली यह शक्ति है।

सार्वजनिक शारदा उत्सव समिति न्यू लक्ष्मी नगर ब्रह्माकुमारी चौक मनोहरभाई वार्ड गोंदिया

इस देवी के तीन नेत्र हैं। यह तीनों ही नेत्र ब्रह्माण्ड के समान गोल हैं। इनकी साँसों से अग्नि निकलती रहती है। यह गर्दभ की सवारी करती हैं। ऊपर उठे हुए दाहिने हाथ की वर मुद्रा भक्तों को वर देती है। दाहिनी ही तरफ का नीचे वाला हाथ अभय मुद्रा में है। यानी भक्तों हमेशा निडर, निर्भय रहो।

श्री मां दुर्गा उत्सव समिति गड्ढाटोली गोंदिया

बायीं तरफ के ऊपर वाले हाथ में लोहे का काँटा तथा नीचे वाले हाथ में खड्ग है। इनका रूप भले ही भयंकर हो परन्तु यह सदैव शुभ फल देने वाली माँ हैं। इसीलिए यह शुभंकरी कहलाईं। अर्थात इनसे भक्तों को किसी भी प्रकार से भयभीत या आतंकित होने की कतई आवश्यकता नहीं। उनके साक्षात्कार से भक्त पुण्य का भागी बनता है।

सार्वजनिक श्री श्री दुर्गा लक्ष्मी एवं काली पूजा समिति रेलवे स्टेशन गोंदिया

कालरात्रि की उपासना करने से ब्रह्माण्ड की सारी सिद्धियों के दरवाजे खुलने लगते हैं और तमाम असुरी शक्तियाँ उनके नाम के उच्चारण से ही भयभीत होकर दूर भागने लगती हैं। इसलिए दानव, दैत्य, राक्षस और भूत-प्रेत उनके स्मरण से ही भाग जाते हैं। यह ग्रह बाधाओं को भी दूर करती हैं और अग्नि, जल, जन्तु, शत्रु और रात्रि भय दूर हो जाते हैं। इनकी कृपा से भक्त हर तरह के भय से मुक्त हो जाता है।

श्री केदारनाथ धाम के प्रतीकृति का पंडाल मां दुर्गा उत्सव समिति गड्ढाटोली गोंदिया

 

 

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