सपनों का आशियाना होंगा जमींदोज शासकीय जांच में करोड़ों की संपत्ति पाई गई लावारिस जिलाधिकारी ने अवैध निर्माण को तोड़कर भूमि शासन जमा करने का दिया आदेश, करोड़ों के अनाधिकृत निर्माण का मामला पहुंचेगा ईडी के पास

बुलंद गोंदिया। गोंदिया शहर में शासकीय जमीन पर अतिक्रमण करना वह शासकीय रिकॉर्ड में हेरा फेरी करने के अनेक मामले कई बार सामने आते हैं। साथ ही शासन की बिना मंजूरी के निर्माण कार्य भी धड़ल्ले से किया जाता है।
इसी प्रकार के एक मामले में सिंधी कॉलोनी दशहरा मैदान स्थित नजूल सीट नंबर 25 प्लॉट नंबर 1/ 36,1/37 के 2400 चौ. फीट भूमि 800 चौ. फीट की शासकीय जमीन पर निर्माण किए गए सपनों के आशियाने जिसकी वर्तमान बाजार कीमत करोड़ों रुपए बताई गई है।
जिसकी शासकीय जांच में कोई भी मालिक सामने नहीं आया, जिससे उपरोक्त संपत्ति लावारिस होने व अवैध निर्माण के चलते जिलाधिकारी द्वारा 1 अक्टूबर 2022 को दिए गए आदेश के अनुसार अतिक्रमण को तोड़कर भूमि शासन जमा की जाएंगी।
गौरतलब है कि सिंधी कॉलोनी दशहरा मैदान स्थित नजूल सीट नंबर 25 प्लॉट नंबर 1/ 36 व /37 में शासकीय रिकॉर्ड आखिव पत्रिका में नाम किसी और का दर्ज है तथा प्लाट की खरीदी बिक्री के नोटरी के दस्तावेज पर नाम किसी और का है।
सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार वर्तमान स्थिति में उपरोक्त संपत्ति पर प्रभाग क्रमांक 15 के पूर्व पार्षद दिलीप गोपलानी व परिवार का निवास है। जिसे लेकर पूर्व में गोपलानी के खिलाफ नगर परिषद नगर पंचायत औद्योगिक अधिनियम 1965 के तहत गैर अनुपालन का मामला चल रहा था। जिसके कारण उनकी नगर परिषद की सदस्यता रद्द की गई थी, किंतु इस संदर्भ में नगर विकास मंत्री के समक्ष की गई अपील व दिए गए बयान वह हलफनामे के अनुसार उस संपत्ति से उनका किसी भी प्रकार का लेना देना नहीं है।
जिस पर नगर विकास मंत्री द्वारा गोपलानी की सदस्यता बहाल कर जिलाधिकारी को अनाधिकृत निर्माण व संपत्ति के संदर्भ में जांच कर कार्यवाही करने का आदेश दिया था।
जिसके पश्चात जिला प्रशासन द्वारा मामले की जांच उपविभागीय अधिकारी ,तहसीलदार, टाउन प्लानिंग अधिकारी वह पटवारी को सर्वे के आदेश दिए थे। जिसमें तीन बार सर्वे कर अनेक महत्वपूर्ण व्यक्तियों के बयान दर्ज किए गए जिसमें जांच में सामने आया कि किसी भी व्यक्ति द्वारा प्लाट के मालिकाना हक के दस्तावेज पेश नहीं किए जाने के चलते 2400 चौ.फीट के भूखंड व उस पर बना करोड़ों रुपए का दो मंजिला मकान यह अवैध साबित हुआ है।
इस मामले में जिलाधिकारी द्वारा सुनवाई करते हुए 1 अक्टूबर 2022 को जारी किए गए अपने आदेश के अनुसार उपरोक्त अवैध निर्माण को गिराने का आदेश नगर परिषद प्रशासन को देने के साथ ही उपरोक्त भूमि शासन जमा करने का आदेश उपविभागीय अधिकारी गोंदिया को दिया है।
विशेष यह है कि इस प्रकरण में इसके पूर्व 10 लोगों पर एफ आई आर दर्ज हुई थी जिस पर राम गोपलानी द्वारा नोटरी दस्तावेज के आधार पर गोंदिया के नगर रचना विभाग में यह दावा किया था कि यह जमीन उनकी है तथा उनका नक्शा मंजूर किया जाए जिस पर नगर रचनाकार द्वारा अपनी रिपोर्ट में कहा कि यह नक्शा मंजूर नहीं हो सकता क्योंकि उपरोक्त भूमि का रजिस्ट्री पत्र नहीं है तथा नोटरी के दस्तावेज के आधार पर मंजूरी नहीं दी जा सकती।
तथा राजु मोटवानी नामक व्यक्ति का नाम उपरोक्त भूमि पर आख़ीव पत्रिका में दर्ज बताया जा रहा है, किंतु राजू मोटवानी द्वारा प्लाट को लेकर कभी भी अपना दावा नहीं किया है। राम गोपलानी द्वारा उपरोक्त जमीन को अपनी बता रहा है किंतु उसके पास रजिस्ट्री के दस्तावेज नहीं है तथा सर्वे के दौरान दिलीप गोपलानी ने अपने बयान में खुद यह कहा था कि यह जमीन मेरी नहीं है जिसके पश्चात उपरोक्त मामले को लेकर जिला प्रशासन द्वारा जांच की गई कि आखिरकार उपरोक्त भूमि पर बने मकान में वर्तमान में किसका पजेशन है तथा शासकीय प्लाट पर कब्जा कर मकान का निर्माण कौन कर रहा है किंतु मामले में कोई भी मालिक सामने नहीं आया।
उपरोक्त प्लाट वर्ष 2000 तक मोटवानी व अन्य को सरकार द्वारा लीज पर दिया गया था जबकि उसका वर्तमान में कब्जा नहीं है तथा यहां अन्य और कोई कब्जा किया हुआ है वर्तमान में कब्ज़ा किसका है तथा उस व्यक्ति ने करोड़ों रुपए के अनाधिकृत निर्माण किया है इस संपूर्ण प्रकरण में शासन की बिना मंजूरी के अनाधिकृत रूप से निर्माण किए जाने का मामला सामने आने पर जिलाधिकारी द्वारा नगर परिषद प्रशासन के प्रशासक व मुख्य अधिकारी करण चौहान को इमारत गिराने तथा उपरोक्त प्लाट की जमीन शासन जमा करने का आदेश उपविभागीय अधिकारी गोंदिया को दिया गया है।
उल्लेखनीय है कि सर्वे रिपोर्ट में राम गोपलानी जहां रहता है वह मकान तो उसका अपना बता रहा है किंतु उसके मकान के सामने स्थित यह दो मंजिला मकान को अपना बताने से इंकार कर रहा है। शासन के नियमानुसार नोटरी के आधार पर टाइटल क्लियर नहीं होता भूमि का सिर्फ सेल परचेज एग्रीमेंट करना होता है तथा रजिस्ट्री होती है किंतु उपरोक्त प्रकरण में प्लाट की रजिस्ट्री नहीं होने तथा दस्तावेजों में जिनका नाम है उनका कब्जा नहीं होने से उपरोक्त इमारत को अनाधिकृत घोषित किया गया है।
करोड़ों के अनाधिकृत निर्माण की शिकायत करेंगे ईडी से- महेश वाधवानी
सिंधी कॉलोनी दशहरा मैदान की भूमि के संदर्भ में आरटीआई कार्यकर्ता महेश वाधवानी द्वारा मामले की शिकायत की गई थी। जिसकी शिकायत की सच्चाई अब सामने आ गई है जिसके आधार पर जिलाधिकारी द्वारा दिए गए अपने फैसले में उपरोक्त भूमि पर बने मकान को अनाधिकृत घोषित कर भूमि शासन जमा करने का आदेश दिया है। इस संदर्भ में महेश वाधवानी ने जानकारी देते हुए बताया कि करोड़ों रुपए के इस अनाधिकृत निर्माण व निर्माण में कालाधन के इस्तेमाल की आशंका है। इस मामले की जांच हेतु जल्द ही ईडी के समक्ष शिकायत करेंगे।

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