बुलंद गोंदिया। गोंदिया नगर परिषद की खस्ताहाल आर्थिक स्थिति फिर सामने आई है शहर में जगमगाने वाली स्ट्रीट लाइट का एक करोड रुपए का बिल बकाया होने के चलते 30 जनवरी को महावितरण ने स्ट्रीट लाइट के कनेक्शन काट दिए हैं जिससे अधिकांश क्षेत्र अंधकारमय हो गया है।
गौरतलब है की गोंदिया नगर परिषद की कार्य प्रणाली हमेशा ही विवादग्रस्त रहती है शहर के विकास से नगर परिषद का कोई नाता नहीं रह गया शहर अब भगवान भरोसे चल रहा है तथा नगर परिषद शासन प्रशासन से अस्तित्व विहीन हो चुका है।
गोंदिया नगर परिषद भारी कर्ज में डूब चुकी है जिसके चलते 7 से 8 माह का करीब एक करोड रुपए का बिजली बिल का भुगतान नगर परिषद द्वारा
महावितरण को नहीं किया जा सका है बिजली बिल के भुगतान के लिए महावितरण द्वारा नगर परिषद को अनेकों बार स्मरण पत्र देकर भी सूचित किया है
लेकिन फंड न होने के चलते भुगतान न हो पाने की जानकारी सामने आ रही है।
इसी के चलते चेतावनी स्वरूप 30 जनवरी को शहर के कुछ क्षेत्रों की स्ट्रीट लाइट के विद्युत कनेक्शन महा वितरण द्वारा काट दिया गया है जिससे शहर
के मार्ग अंधकारमय हो चुके हैं।
जिसमें मुख्य रूप से मनोहर चौक. छोटा गोंदिया। गोविंदपुर क्षेत्र का समावेश है इन क्षेत्रों की लाइट कट जाने से अंधकार का साम्राज्य पसर गया है।
आमदनी चवन्नी खर्चा रुपैया
गोंदिया नगर परिषद की आमदनी चवन्नी है लेकिन खर्चा रुपैया कर रहे हैं जिससे नगर परिषद पर कर्ज प्रतिदिन बढ़ता जा रहा है लेकिन जनप्रतिनिधि
विहीन नगर परिषद में आमदनी बढ़ाने के कोई उपाय होते दिखाई नहीं दे रहे हैं जिससे भविष्य में और अधिक समस्याओं का सामना शहर वासियों को
करना पड़ सकता है।
ब्याज की राशि 17 से 18 लाख
गोंदिया नगर परिषद के अंतर्गत शहर के मार्गों पर लगे विद्युत खंबे स्ट्रीट लाइट का बिजली बिल नगर परिषद द्वारा गत 10 से 12 वर्षों से अब तक पूरा
नहीं भरा जाता है जिसके चलते करीब 17 से 18 ला ख रुपए ब्याज की ही राशि हो चुकी है जो प्रतिवर्ष बढ़ती ही जा रही है।
जनरल फंड के नाम पर भारी घोटाला
गोंदिया नगर परिषद की जो स्वयं की आमदनी है उसे जनरल फंड के रूप में खर्च किया जाता है लेकिन गत कुछ वर्षों में जनरल फंड के नाम पर भारी घोटाला हुआ है जिसके चलते करोड़ों रुपए नगर परिषद पर ठेकेदारों वह अन्य लोगों का बकाया होने की सूत्रों से जानकारी प्राप्त हुई है, तथा इस जनरल फंड के अधिकांश काम हुए ही नहीं लेकिन बिल भी बन चुके हैं जिसके चलते नगर परिषद पर आर्थिक बोझ प्रतिदिन बढ़ता जा रहा है तथा भविष्य में नगर परिषद दिवालिया घोषित होने की स्थिति में आ सकती है।