बुलंद गोंदिया। गोंदिया जिले के देवरी निवासी २६ वर्षीय गिरधारी कडसे के दायें हाथ की हड्डी टूटी तो उसको इलाज के लिए गोंदिया के शासकीय हॉस्पिटल में भर्ती किया गया और उसका ऑपरेशन करके एक प्लेट और स्क्रूज़ लगाए गए टूटी हड्डी पे मगर कुछ ही दिनों में उसमें इन्फ़ेक्शन होने के करण प्लेट निकाली गयी और दूसरा इंप्लांट डाला गया। मगर उससे भी इन्फ़ेक्शन कम नहीं हुआ और उसके हाथ से मवाद आना शुरू रहा।
फिर उसका तीसरा ऑपरेशन किया गया और एक सलिया डाली गयी मगर उससे भी इन्फ़ेक्शन कम नहीं हुआ फिर उसे भी निकाला गया और दोबारा एक बार उसे एक्स फ़िक्स करके शरीर के बाहर से लगने वाला इंप्लांट लगाया गया मगर कई महीनों के बीतने के बाद और क़रीब क़रीब ५-६ ऑपरेशन होने के बाद भी उसके हाथ में पस आना शुरु था और हड्डी जुड़ी भी नहीं थी।
उसके पिताजी के एक मित्र की सलाह पर उसे बालाजी नर्सिंग होम गोंदिया के हड्डी रोग विशेषज्ञ डॉ एस विद्यासागर मोहन को दिखाया गाय जिन्होंने उसको लगने वाले ट्रीटमेंट (Masquelet Technique) की विस्तृत जानकारी दी और बताया की इलाज दो चरणों में किया जाएगा और पूरे इलाज की जानकारी देने के बाद उसके पहले चरण में मवाद निकल रही हड्डी को क़रीब क़रीब 9 सेंटिमीटर काटा गया साथ ही उसके हाथ में इंफ़ेक्टेड जो भी भाग था उसे निकाला गया और कटी हड्डी में ऐंटीबायआटिक युक्त सिमेंटेड नेल डाला गया और उसे 6 हफ़्ते तक रखा गया।
6 हफ़्ते के बाद इन्फ़ेक्शन पूरी तरह से खतम हो गया और पस आना बंद हो गया और ज़ख़्म भी भर गया तब वह सलिया और बोनसिमेंट निकाला गया मगर काटी गयी 9 -10 सेंटिमीटर ख़राब हड्डी की जगह पैर से हड्डी निकाल के दूसरे चरण में प्लेट और स्क्रूज़ और बोन ग्राफ़्ट के साथ लगायी गया।
क़रीब 10 से 11 महीन के बाद x ray निकलने पे यह पाया गया कि हड्डी पूरी तरह जुड़ गयी और पेशंट आब आसानी से ५-६ किलो तक चीजों को भी उठा पा रहा था ।
डॉ विद्यासागर ने जानकारी देते हुये बताया कि कई बार ऐसे मरीज का इन्फ़ेक्शन ठीक ना हो पाने की स्तिथि में मरीज की जान बचाने के लिए हाथ काटने तक की नौबत आती हैं ।
पीड़ित मरीज ने डॉ विद्यासागर मोहन और उनकी पूरी टीम का इस जटिल समस्या के लिए विश्वस्तरीय इलाज से पूरी तरह से ठीक करने के लिए बहुत आभार माना।
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