बुलंद गोंदिया। गोंदिया जिला परिषद के विषय समिति के सभापतियों के चुनाव सोमवार 23 मई को संपन्न हुए जिसमें भारतीय जनता पार्टी की ओर से सविता संजय पुराम संजय टेंभरे, राष्ट्रवादी कांग्रेस की ओर से पूजा अखिलेश सेठ वह निर्दलीय रुपेश (सोनू) कुथे निर्वाचित हुए तथा उपरोक्त चुनाव में अध्यक्ष उपाध्यक्ष चुनाव के गठबंधन की साथी जनता की पार्टी चाबी संगठन द्वारा चुनाव का बहिष्कार किया।
गौरतलब है कि गोंदिया जिला परिषद मैं विषय समिति के सभापतियों के चुनाव जिला परिषद सभागार में संपन्न हुए जिसमें भाजपा गठबंधन के चार सभापति निर्वाचित हुए जिन्हें 36- 36 मत मिले वह कांग्रेस के उम्मीदवार को 13- 13 मत प्राप्त हुए। उपरोक्त चुनाव में जनता की पार्टी चाबी संघटना के चार सदस्यों द्वारा सभापति चुनाव का बहिष्कार कर सदन से उनके चार सदस्य अनुपस्थित रहे। चुनाव में भारतीय जनता पार्टी की ओर से सविता संजय पुराम तथा संजय टेंभरे, राष्ट्रवादी कांग्रेस की ओर से पूजा अखिलेश सेठ तथा निर्दलीय सदस्य रूपेश (सोनू) कुथे बहुमत से निर्वाचित हुए। तथा कांग्रेश की ओर से उपरोक्त चुनाव में उषा सहारे, श्रीकांत घाटबांधे, छाया नागपुरे, व छबूताई उके के द्वारा नामांकन भरा था भरा गया था तथा उन्हें पराजय का सामना करना पड़ा।
सभी निर्वाचित सभापतियों को भारतीय जनता पार्टी, राष्ट्रवादी कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं द्वारा शुभकामनाएं दी गई जिसमें जिला परिषद अध्यक्ष पंकज राहंगडाले, उपाध्यक्ष इंजीनियर यशवंत गनवीर, भाजपा जिला अध्यक्ष केशव मानकर, पूर्व विधायक संजय पुराम राष्ट्रवादी कांग्रेस की ओर से पूर्व विधायक राजेंद्र जैन, संजय कुलकर्णी ,खोमेश राहंगडाले, रमेश भाऊ कुथे, नेतराम कटरे , अखिलेश सेठ, राजकुमार यादव तथा भाजपा व राष्ट्रवादी कांग्रेस के जिला परिषद सदस्य व नवनिर्वाचित सभापति के समर्थक बड़ी संख्या में उपस्थित रहकर शुभकामनाएं दी।
भाजपा,राष्ट्रवादी जनता की पार्टी चाबी गठबंधन में दिखी दरार
गोंदिया जिला परिषद अध्यक्ष पद के चुनाव के दौरान भारतीय जनता पार्टी, राष्ट्रवादी कांग्रेस व जनता की पार्टी चाबी संगठन का गठबंधन सामने आया था जिसमें 53 जिला परिषद सदस्यों में से 40 जिला परिषद सदस्यों के भारी बहुमत से अध्यक्ष व उपाध्यक्ष निर्वाचित हुए थे किंतु सभापति चुनाव के दौरान गठबंधन में दरार साफ दिखाई दी जिसमें चुनाव का बहिष्कार जनता की पार्टी चाबी संगठन द्वारा किया गया तथा उनके सभी 4 सदस्य अनुपस्थित थे। जिससे संभावना जताई जा रही है कि भविष्य में जिला परिषद की सत्ता संचालन में इस दरार का असर साफ दिखाई देगा।