बुलंद गोंदिया। रिश्तो को शर्मसार कर अनाथ नाबालिग भतीजी के साथ दुष्कर्म का मामला 5 वर्ष पूर्व सामने आया था इस मामले में गोंदिया ग्रामीण पुलिस थाना अंतर्गत आने वाले ग्राम के निवासी आरोपी विजेश महारवाडे को दोषी करार देते हुए जिला न्यायाधीश क्रमांक 2 तथा विशेष सत्र न्यायाधीश ए एम खान द्वारा विभिन्न धाराओं के तहत 15 वर्ष का सश्रम कारावास व 20000 दंड की सजा सुनाई।
प्रकरण इस प्रकार है कि गोंदिया ग्रामीण पुलिस थाना अंतर्गत आने वाले ग्राम तहसील गोंदिया निवासी आरोपी बृजेश महारवाडे उम्र 44 वर्ष द्वारा 6 सितंबर 2017 की रात करीब 11:00 बजे के दौरान अपनी 10 वर्षीय अनाथ नाबालिग भतीजी जो अपने घर की छपरी में अकेली सोई हुई थी उसके साथ दुष्कर्म किया तथा इस घटना की जानकारी किसी को देने पर जान से मारने की धमकी दी थी ।
उल्लेखनीय है कि पीड़िता के माता पिता का निधन हो जाने से वह अपने दादा दादी के साथ रहती थी दूसरे दिन सुबह अपने साथ घटित हुई दुष्कर्म की घटना की जानकारी अपने दादा को दी जिसके पश्चात फरियादी दादा द्वारा इस अन्याय के खिलाफ गोंदिया ग्रामीण पुलिस थाने में 7 सितंबर 2017 को आरोपी के खिलाफ शिकायत दर्ज करवाई।
शिकायत के आधार पर आरोपी के खिलाफ भादवि की धारा 376( 2) (एफ)( आय), 506 तथा बाल लैंगिक अत्याचार प्रतिबंधक कानून 2012 की धारा 4,6 के तहत मामला दर्ज कर उपरोक्त मामले की जांच तत्कालीन जांच अधिकारी गोंदिया ग्रामीण थाने के पुलिस निरीक्षक दिनेशचंद्र शुक्ला द्वारा कर आरोपी के खिलाफ न्यायालय में आरोप पत्र पेश किया।
उपरोक्त मामले में आरोपी के खिलाफ दोष साबित करने के लिए तथा पीड़िता को न्याय दिलाने सरकार की ओर से विशेष सरकारी वकील कृष्णा डी पारधी व विशेष सरकारी वकील वसंत एम चुटे द्वारा न्यायालय के समक्ष 11 गवाह को पेश किया साथ ही आरोपी की उम्र चिकित्सा अव्वाल व न्यायालय के सामने पेश किए गए सबूतों के आधार पर विशेष सत्र न्यायधीश वह जिला न्यायाधीश क्रमांक 2 ए एम खान द्वारा आरोपी को भादवि की धारा 376 (2)( एफ) के तहत 15 वर्ष का सश्रम कारावास व 10000 जुर्माने की सजा तथा 376(2)(आय) के अंतर्गत 15 वर्ष का सश्रम कारावास व 10000 का जुर्माना तथा धारा 506 के तहत 6 महीने का सश्रम कारावास इस प्रकार इस प्रकार दोनों धाराओं के तहत सजा व20000 के जुर्माने के सजा दी तथा दड की राशि पीड़िता को देने का आदेश दिया इसके साथ ही जिला विधि सेवा प्राधिकरण गोंदिया के माध्यम से पीड़िता को मनोधैर्य योजना के अंतर्गत आर्थिक मदद व पुनर्वसन करने का आदेश दिया।
उपरोक्त प्रकरण में ग्रामीण पुलिस थाने के पुलिस निरीक्षक बाबासाहेब बोरसे के मार्गदर्शन में पैरवी कर्मचारी सहायक पुलिस उपनिरीक्षक आत्माराम टेभरे द्वारा विशेष सहयोग दिया गया।