मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने भंडारा-गोंदिया जिले में करोड़ों रुपये के धान खरीद घोटाले की जांच के दिए आदेश

विधायक डॉ. परिणय फुके ने इस गंभीर घोटाले की शिकायत की थी मुख्यमंत्री से
बुलंद गोंदिया। भंडारा-गोंदिया जिले के विधायक डॉक्टर परिणय फुके ने इस गंभीर घोटाले की शिकायत मुख्यमंत्री से की थी। परिणय फुके की शिकायत मिलने के तुरंत बाद मुख्यमंत्री ने धान खरीद घोटाले की जांच के दिए आदेश।
3 जनवरी को लिखे पत्र में विधायक डॉ. परिनय फुके ने भंडारा-गोंदिया जिले में करोड़ों रुपये के धान खरीद घोटाले को लेकर आदिवासी विकास मंत्री केसी पाड़वी को कैबिनेट से तत्काल हटाने की मांग की थी। तदनुसार, मुख्यमंत्री ने इन मुद्दों पर तत्काल जांच और कार्रवाई के आदेश दिए हैं।
भंडारा-गोंदिया जिले में खरीफ और रबी सीजन 2019-20 के दौरान धान की खरीद के दौरान भारी अनियमितता और भ्रष्टाचार का मामला सामने आने के बाद शासन के खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति विभाग ने जिलाधिकारी को मामले की एसआईटी जांच कराने का निर्देश दिया था। मामले की जांच कर आपराधिक एवं प्रशासनिक कार्रवाई करने के लिए पुलिस अधीक्षक भंडारा की अध्यक्षता में अपर जिलाधिकारी एवं जिला कृषि अधिकारी की कमेटी गठित की गयी थी. लेकिन समिति ने पिछले 10 महीने से कोई कार्रवाई नहीं की है। यह मामला आदिवासी विकास निगम के प्रबंधक सोपान सांभरे के कार्यकाल का है और मामला सामने आने के बाद सरकार ने उनका तबादला भंडारा से कर दिया था। लेकिन आदिवासी विकास मंत्री के.सी. पाड़वी के आशीर्वाद से प्रबंधक सोपान सांभरे का फिर से भंडारा स्थानांतरित कर दिया गया है। चूंकि इस गंभीर मामले में अभी तक एसआईटी द्वारा कोई कार्रवाई नहीं की गई है, इस एसआईटी जांच की ओर जिलेवासियों का ध्यान आकृष्ट किया गया है और दोषियों के खिलाफ कार्रवाई कब होगी? ऐसा प्रश्न प्रस्तुत किया जा रहा है। आदिवासी विकास निगम के भंडारा क्षेत्रीय कार्यालय अंतर्गत भंडारा जिले में वर्ष 2019-20 में मूल मूल्य खरीद योजना के तहत खरीफ एवं रबी सीजन में करोड़ों रुपये की खरीद की गयी। धान खरीदी में बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार की शिकायतें मंत्रालय तक पहुंचीं। मामले की जांच की गई और दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की गई। जब मामला प्रकाश में आया तब सोपान सांभरे निगम के प्रबंधक के पद पर कार्यरत थे। इस मामले को लेकर वह संकट में थे। इसलिए सरकार ने अचानक उन्हें हटा दिया था और एसआईटी जांच के आदेश दे दिए थे। तदनुसार, पुलिस अधीक्षक की अध्यक्षता में 30 अक्टूबर, 2020 को एक समिति का गठन किया गया था। समिति के अध्यक्ष ने तहसील स्तर पर अपर जिलाधिकारी और कृषि अधीक्षक द्वारा गठित टीम से 7 दिनों के भीतर रिपोर्ट प्राप्त करने का निर्देश दिया था। तहसील दस्ते में तहसीलदार, तहसील कृषि अधिकारी और संबंधित पुलिस थानों के प्रभारी अधिकारी शामिल थे। टीम ने मामले में कदाचार में व्यक्ति की संलिप्तता और परिजनों के खिलाफ की जाने वाली कार्रवाई पर स्पष्ट रिपोर्ट सौंपने के निर्देश दिए थे। लेकिन अभी तक संबंधित अधिकारियों और मंत्रियों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई है। विधायक डॉ.परिणय फुके ने आदिवासी विकास मंत्री केसी पड़वी को कैबिनेट से तत्काल हटाने की मांग की है इसमें शामिल एक भ्रष्ट अधिकारी और भंडारा प्रबंधक सोपान सांभरे के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की भी मांग की।

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