अधिकारी की लापरवाही के कारण किसान पर आत्महत्या करने की नौबत
बुलंद गोंदिया।(विजेंद्र मेश्राम)- कोरोना के इस संकट की घड़ी में अगर कंधे से कंधा मिलाकर खड़ा है वह है इस देश के किसान इस जिले के किसान। लेकिन किसानों के साथ ही अन्याय हो रहा है तो आखिर किसान इसके पास न्याय की गुहार लगाएं? यह सवाल है। पूरे देश की भूख मिटाने वाला किसान ही दुखी है तो इस देश के नागरिक कैसे सुखी हो सकता है। घटना कामठा ग्राम पंचायत अंतर्गत की है विठोबा रतिराम भाजीपाले पहले उनके खेतों में आने- जाने की सरकारी जमीन पर गांव के ही शंकर मदन लिल्हारे ने जबरन अतिक्रमण कर पहले कंपाउंड वॉल बनाई व विस्तारीकरण करके धीरे-धीरे पक्का मकान बना दिया। इसकी सारी जानकारी ग्राम पंचायत कामठा प्रशासन, पंचायत समिति गोंदिया, जिला परिषद गोंदिया, जिल्हाधिकारी कार्यालय गोंदिया, को दी गई लेकिन किसी भी अधिकारी ने इसकी जिम्मेदारी नहीं ली। एक दूसरे के ऊपर दबाव बनाते हुए टालमटोल करते जा रहे हैं। इसके पास उसके पास भेज कर काम नहीं हुआ। घुमाने का काम किया गया है। पत्र भेजने के बाद भी अधिकारी द्वारा टालमटोल किया जा रहा है। 100 पेज की कॉपी के बंच तैयार किया हुआ, कई दफा सभी संबंधित अधिकारियों को पत्र दिया जा चुका है किंतु कोई सुनवाई नहीं।
अधिकारी द्वारा कर्तव्य,दायित्व की पूर्ति नही कर रहे है।
तहसीलदार को बोलने पर कोरोना का डर बताकर अतिक्रमणकरियो को तूल दिया जा रहा है। वहीं पंचायत समिति के बीडीओ को बार-बार पत्र देने के बाद भी कोरोना का डर दिखाकर अतिक्रमण को तूल देने का काम किया जा रहा है। वैसे ग्राम पंचायत प्रशासन ने भी वही कृत्य किया हुआ है। अधिकारी अपने कार्य, कर्तव्य, अधिकार एवं दायित्व की पूर्ति नहीं की जा रही है। अपने अधिकारों का गलत इस्तेमाल किया जा रहा है। किसानों को प्रताड़ित किया जा रहा है। किसानों को आत्महत्या करने पर मजबूर अधिकारियों द्वारा किया गया है और किया जा रहा है। किसानों के साथ अगर ऐसा दुर्व्यवहार अधिकारियों वर्ग द्वारा किया जा रहा है, तो किसान न्याय के लिए आखिर कहां जाए? किसानों को आत्महत्या करने को मजबूर करने वाले इन अधिकारियों और ग्राम पंचायत प्रशासन पर कितनी कार्यवाही होनी चाहिए?
जिल्हाधिकारी के पत्र की अवहेलना किया जा रहा है।
जिलाधिकारी के पत्र आदेश होने के बावजूद भी कोई भी कार्यवाही नहीं हो रहा है। गोंदिया जिले में जिल्हाधिकारी के पत्र की अवहेलना किया जा रहा है। उनका पत्र का अपमान याने जिलाधिकारी का अपमान किंतु अधिकारी सुस्त होते जा रहे हैं। जिलाधिकारी का भी इन अधिकारियों को कोई भय नहीं है। आखिर प्रशासन क्या कर रहा है यह सवाल यहां के जिलाधिकारी से है?
किसानों को आर्थिक मुआवजा दिया जाए
शंकर मदन लिल्हारे ने खेतों में आने जाने वाले जगह पर जबरन अतिक्रमण कर पक्का मकान तैयार किया गया है, जो कि गैरकानूनी है। इसमें पूरा पूरा फुल सपोर्ट ग्राम पंचायत प्रशासन एवं पंचायत समिति गोंदिया प्रशासन की मिलीभगत से हो रही है। इसे देखते हुए किसान की जमीन काफी सालों से पड़ीत है, इसका सारा आर्थिक नुकसान का मुआवजा ग्राम पंचायत कामठा प्रशासन एवं पंचायत समिति गोंदिया प्रशासन दे। क्योंकि पक्का मकान बनने से पहले ही अधिकारियों एवं ग्राम पंचायत प्रशासन को इसकी जानकारी दी गई, लेकिन पत्र की अवहेलना करते हुए, उन पर कोई भी कार्यवाही नहीं की। पत्र बार-बार दिया गया किंतु पत्र का अपमान किया गया व जबरन ग्राम पंचायत की मिलीभगत से उन्हें पक्का मकान बनवाने दिया गया। इसमें ग्राम पंचायत ने रोक नहीं लगाई।
ग्राम पंचायत अधिनियम कलम 39 अंतर्गत कार्रवाई के निर्देश जिलाधिकारी दे
ग्राम कामठा के अतिक्रमण को देखते हुए, गंभीर समस्या बनी हुई है। इससे शांतिभंग एवं कायदा सुव्यवस्था का उल्लंघन करते हुए किसानों को क्षति पहुंचाने का काम किया जा रहा है। माहौल बिगड़ने के कगार पर होने के बावजूद भी अधिकारी सुध नहीं ले रहे हैं। पश्चात ग्राम पंचायत अधिनियम कलम 39 के अंतर्गत ग्राम पंचायत एवं पंचायत समिति गोंदिया पर कार्रवाई हो। जिलाधिकारी गोंदिया के निर्देश के अनुसार दोषी अधिकारी पर तुरंत कार्रवाई की जाए ऐसा किसान, विठोबा रतिराम भाजपाले ने जिलाधिकारी गोंदिया, नागपुर आयुक्त, मंत्रालय मुंबई, से की है। अगर न्याय नहीं मिला तो किसान आत्महत्या करेगा यह सुनिश्चित करते हुए सभी जवाबदारी ग्राम पंचायत कामठा प्रशासन एवं सभी संबंधित अधिकारियों की होगी। पंचायत अधिनियम कलम 39 अंतर्गत ग्राम पंचायत एवं पंचायत समिति गोंदिया पर कठोर कार्यवाही एवं ग्राम पंचायत कामठा को निरस्त किया जाने की मांग किसान, विठोबा भाजीपाले ने की है।
कामठा की सरकारी जमीन पर अतिक्रमण कर ग्राम पंचायत प्रशासन व पंचायत समिति प्रशासन दे रहे तूल – किसान विठोबा भाजीपाले
