गोपलानी के अवैध निर्माण व अतिक्रमण पर प्रशासन जल्द करेगा कार्रवाई, भूखंड भी होंगा शासन जमा महाराष्ट्र शासन के निर्णय के अनुसार

बुलंद गोंदिया। सिंधी कॉलोनी रावण मैदान निवासी दिलीप तुलसीदास गोपलानी तत्कालीन पार्षद प्रभाग क्रमांक 15 इनकी सदस्यता तत्कालीन जिलाधिकारी दीपक कुमार मीणा द्वारा अनधिकृत बांधकाम के चलते रद्द की गई थी।
इस संदर्भ में मंत्रालय द्वारा सदस्यता बहाल कर अनाधिकृत बांधकाम निरस्त करने व अनाधिकृत कब्ज़ा हटाकर भूखंड शासन जमा करने का आदेश जिला अधिकारी गोंदिया को नगर विकास विभाग के तत्कालीन मंत्री एकनाथ शिंदे ने दिया था। लेकिन इस संदर्भ में नवंबर 2021 में उच्च न्यायालय में संबंधितो द्वारा याचिका दाखिल किया गया था। जिस पर न्यायालय द्वारा स्थगन आदेश देते हुए यथास्थिति बनाए रखने का आदेश दिया था।
लेकिन अब 6 माह बीत जाने के बावजूद सर्वोच्च न्यायालय के आदेश के अनुसार उपरोक्त निर्णय स्वत ही खत्म हो गया है। जिसके चलते अब प्रशासन द्वारा गोपलानी के अनधिकृत बांधकाम पर कार्यवाही करने के साथ शासन भूखंड को शासन जमा करने की कार्रवाई की जाएगी।
इस संदर्भ में आरटीआई कार्यकर्ता महेश वाधवानी द्वारा जिलाधिकारी को निवेदन देकर मांग की है।
गौरतलब है कि सिंधी कॉलोनी रावण मैदान निवासी दिलीप तुलसीदास गोपलानी व अन्य 10 द्वारा शासकीय भूमि पर अनाधिकृत रूप से अतिक्रमण कर अवैध रूप से बांधकाम किया था। इसकी शिकायत आरटीआई कार्यकर्ता महेश वाधवानी द्वारा किए जाने पर इस संदर्भ में तत्कालीन जिलाधिकारी दीपक कुमार मीणा द्वारा पार्षद दिलीप गोपलानी की नगर परिषद की सदस्यता रद्द की थी। इस मामले में दिलीप गोपलानी द्वारा मंत्रालय में अपील किए जाने पर नगर विकास मंत्रालय के तत्कालीन मंत्री एकनाथ शिंदे द्वारा सदस्यता बहाल की गई किंतु अनधिकृत बांधकाम वह अवैध रूप से कब्जा किए गए भूखंड को शासन जमा करने का आदेश जिलाधिकारी को दिया था।
इस मामले में जिलाधिकारी द्वारा नगर परिषद प्रशासन को कार्रवाई करने का आदेश दिया था।
लेकिन नगर परिषद प्रशासन द्वारा उस समय कार्रवाई करने में कोताही बरती गई थी जिसके पश्चात 1 नवंबर 2021 को आयोजित लोकशाही में यह मुद्दा वाधवानी द्वारा उठाए जाने पर जिलाधिकारी नयना गुंडे द्वारा नगर परिषद प्रशासन को कड़ी फटकार लगाई थी वह अनधिकृत बांधकाम के खिलाफ तत्काल कार्रवाई कर 7 दिनों के अंदर अहवाल प्रस्तुत करने को कहा था जिसके पश्चात प्रशासन द्वारा कार्रवाई की गई व 25 नवंबर को शहर पुलिस थाने में एफआईआर भी की गई। किन्तु इस संदर्भ में गोपलानी द्वारा द्वारा मुंबई उच्च न्यायालय की नागपुर खंडपीठ में रिट याचिका दाखिल की गई थी जिस पर न्यायालय द्वारा स्थगन आदेश देते हुए यथास्थिति बरकरार रखने का आदेश दिया था।
उपरोक्त आदेश को 6 माह से अधिक समय अवधि बीत चुकी है विशेष यह है कि इस संदर्भ में उच्च न्यायालय द्वारा उसके पश्चात किसी भी प्रकार का नया आदेश जारी नहीं किया गया है। उल्लेखनीय है कि सर्वोच्च न्यायालय द्वारा वर्ष 2020 में जारी किए गए आदेश के अंतर्गत यदि कोई भी न्यायालय।, उच्च न्यायालय सहित किसी भी प्रकार के सिविल या अपराधिक मामले में स्थगन आदेश या यथास्थिति बनाए रखने का आदेश दिया जाता है तो उस की अधिकतम अवधि 6 माह मानी जाएंगी जब तक न्यायलय द्वारा उसी संदर्भ में फिर से कोई नया आदेश नहीं दिया जाता।
अवधि खत्म होने के पश्चात संबंधित पर कार्रवाई प्रशासन द्वारा किया जाना चाहिए।
इस प्रकार का आदेश महाराष्ट्र शासन द्वारा भी जारी किया गया है लेकिन प्रशासन द्वारा अब तक कार्रवाई नहीं की गई है।
प्रशासन द्वारा कार्यवाही करने की मांग को लेकर फिर से आरटीआई कार्यकर्ता महेश वाधवानी द्वारा जिलाधिकारी को पूर्व लोकशाही के शिकायत टोकन क्रमांक 70 के प्रकरण को फिर से शुरू करने व आगे की कार्रवाई तत्काल करने की मांग का आवेदन दिया है।
अब यह देखना है कि जिलाधिकारी द्वारा इस संदर्भ में जल्द से जल्द क्या निर्णय लिया जाता है वह प्रशासन द्वारा क्या कार्यवाही की जाती है।
जिससे अब संभावना बलवित हो रही है किगोपलानी पर फिर से एक बार कानूनी शिकंजा कसने के साथ ही प्रशासन की कार्रवाई शुरू होंगी जिसके चलते अवैध रूप से किए गए बांधकाम पर कार्रवाई होने के साथ ही अनाधिकृत रूप से कब्जा किए गए भूखंड को शासन जमा किया जाएगा।

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